Ustrasana
Explore a selection of beginner-friendly yoga poses that are perfect for those new to yoga. These poses will help you build strength and flexibility.
6/29/20231 min read


उष्ट्रासन
प्रत्यक योगासन की अपनी एक विशेषता है और उसमे विशेष लाभ प्रदान की क्षमता होती है। वैसे ही उष्ट्रासन हमारे पेट, कमर, मस्तिष्क, प्रजनन तंत्र के लिए बहुत ही उपयोगी है….
आसन परिचय
प्रत्येक आसन किसी न किसी जीव-जंतु, पेड़-पौधे या किसी ऋषि-मुनि के नाम पर होता है। जिस आसन का अभ्यास हम करते है, उसी के गुण हमारे शरीर में आने लगते है…
उष्ट्रासन ऊँट के नाम पर है, संस्कृत में ऊंट को उष्ट्र बोलते है। जिस तरह से ऊँट रेगिस्तान में बिना खाना-पानी के कई दिनों तक जीवित रह सकता है। उसी तरह से उष्ट्रासन हमारे शरीर में भूख प्यास को नियंत्रित करता है..
आसन से पूर्व तयारी
किसी हवादार स्वच्छ जगह पर मेट, चटाई या कंबल बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं और अपनी आती-जाती श्वास को नियंत्रित करने का प्रयास करें । अपने मन में विचार करें कि मैं उष्ट्रासन का अभ्यास करने जा रहा हूं…
विधि
वज्रासन में अपने घुटनों पर खड़े हो जाएं।
अपने घुटनों और पैरों में कंधों के जितनी दूरी रखें।
अपने पैर के पंजों को जमीन के समानांतर रख सकते है या पंजो को खड़ा भी रख सकते है। प्रारंभ में पंजो को गिरा कर उष्ट्रासन करने में सहायता होती है।
अब श्वास भरते हुए पहले दायें हाथ से अपने दायें पैर की एड़ी को पकड़े और फिर बांये हाथ से बांये हाथ की एड़ी को।
आसन की अंतिम स्थिति में आते ही श्वास सामान्य रखे।
अपनी जांघों को जमीन के समानांतर रखे है, उन्हें आगे की तरफ खींच कर रखें। कमर को सीधा करने का प्रयास करें कोशिश करें कमर जमीन के समानांतर रहे...
प्रारंभ में कुछ सेकंड रोकने का प्रयास करें, उसके बाद श्वास छोड़ते हुए, पहले बयां हाथ आगे लेकर आए फिर दांया।
धीरे-धीरे समय बढ़ाते चले जाएं और एक मिनट से तीन मिनट तक रोकने का प्रयास करें।
श्वास सामान्य होने पर दोबारा अभ्यास कर सकते है।
श्वसन प्रक्रिया
प्रत्येक आसन में श्वास का बहुत महत्व होता है। बिना श्वास के योगाभ्यास करने से वह मात्र व्यायाम ही बनकर रह जाएगा।
उष्ट्रासन लगाते समय हाथ पीछे ले जाते हुए श्वास भरे और वापस आते हुए श्वास छोडे। आसन स्थिर रखते समय अंतकुम्भक लगाए या श्वास सामान्य रखे।
उष्ट्रासन स्थिर रखते समय लंबा और गहरा श्वास लेने से बचें, क्योंकि आपके फेफड़े और हृदय पहले से ही तनाव में है। श्वास सामान्य व छोटा रखें।
उष्ट्रासन में अंतकुम्भक (श्वास को अंदर ही रोककर रखना) के साथ अभ्यास करने से विशेष लाभ होता है। हमारे फेफड़े, हृदय और पेट के अंग पर अतिरिक्त खिंचाव पड़ने से वे मजबूत होते है।
ध्यान व सजगता
उष्ट्रासन में अनाहद, विशुद्धि और स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान केंद्रित करना चाइए। प्रारंभ में अपनी आती और जाती श्वास पर ध्यान केंद्रित करे।
उष्ट्रासन में आप गर्दन-पीठ के खिंचाव पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते है।
आसन क्रम
उष्ट्रासन का अभ्यास करने से पहले, अर्ध उष्ट्रासन का अभ्यास करना चाहिए।
अर्ध उष्ट्रासन में कमर के निचले हिस्से पर अपने हाथों से सहारा देते हुए पीछे की तरफ झुकना चाहिए।
उष्ट्रासन कमर को पीछे मोड़कर किया जाने वाला आसन है। इसके बाद कोई एक ऐसा आसन का अभ्यास करना चाहिए इसमें कमर आगे झुके।
जिसमें आप पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास कर सकते है। शशांक आसन का अभ्यास उत्तम है। क्योंकि इसमें शरीर को ज्यादा इधर-उधर नहीं करना पड़ेगा,,, वज्रासन से ही आप शशांक आसन में आ सकते है।
लाभ
यह हमारे पाचन तंत्र, प्रजनन तंत्र के अंगों को मजबूती प्रदान करता है।
आमाशय-आंतों की मालिश कर कब्ज को दूर करता है।
मेरुदंड की नस नाड़ियों में खिंचाव पैदा कर उन्हें लचीला बनाता है।
पेट दर्द, कमर दर्द, झुके कंधे कुबड़ापन… दूर होता है।
इससे गर्दन के आगे वाले हिस्से पर खिंचाव पड़ता है, जिससे थायराइड ग्रंथि सक्रिय होती है। थायराइड के रोगियों के लिए बहुत ही अच्छा आसन है।
यह भूख प्यास पर नियंत्रण करने में मदद करता है।
जिन लोगों को अधिक पसीना आता है, उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण आसन है।
रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
बच्चो व किशोरों की लंबाई बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा आसान है।
गर्दन, कंधे, हृदय , फेफड़े, पाचन तंत्र, प्रजनन तंत्र के अंगों को मजबूती प्रदान करता है।
सावधानियां
उष्ट्रासन कमर दर्द में बहुत ही फायदेमंद आसन है लेकिन जिन लोगों की कमर में अधिक दर्द हो वे किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही उष्ट्रासन का अभ्यास करें।
कमर दर्द, गर्दन दर्द, घुटने दर्द, अल्सर... होने की स्थिति में उष्ट्रासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
किसी भी प्रकार की समस्या होने पर योग विशेषज्ञ की सलाह लेने के पश्चात ही अभ्यास करना चाहिए।